उन जड़ों में पानी दे दो
जो उपवन में पौधे सूख रहे है
उन घरों में रोटी दे दो,
जो सुत वर्षो से भूख रहे है
उन घरों में रोजी दे दो
जो गरीबी से जूझ रहे है
उन अंधरो की प्यास बुझा दो
जो वर्षो सूख रहे है
उन बच्चों की फीस भी भर दो
जो स्कूलों से चूक रहे है
उनके तन भी कपड़ा दे दो
जो ठंडक से ठिठुर रहे है
उनके सिर भी छत दे दो
जो वर्षो से भीग रहे हैं
भूमिहीन को कुछ भूमि भी दे दो
जो धनियां, लहसुन से चूक रहे हैं
किसानो के कर को माफ भी कर दो
जिनकी फसलें सब सूख रही हैं
दहेज प्रथा को खत्म करो अब
जिससे पिता, प्राण को त्याग रहे हैं
उन बेटी की शादी भी कर दो
जो दहेज से चूक रही हैं
रचनाकार
राम करन